क्यों अब बातों में जज्बात नज़र नही आते 

आंखो में  तैरते ख्वाब खयालात नज़र नही आते 

             जाने कौन किस बात को बाजार मे ले आए 

               इसलिए चेहरे पर दिल के हालात नज़र नही आते 

बहुत टूटा है कही छूने से बिखर न जाए 

उसकी हंसी में गम के निशानात नज़र नही आते 

                 जान  हथेली पर लिए फिरते थे हमारे पीछे 

                 वो अंधेरे में अब  कही साथ नज़र नही आते 

आज फिर आए है वो दर पर मुस्कुराते हुए 

कुछ तो है, मालिक कहीं बिना बात नज़र नही आते ।।

अभी तो सफर की शुरुआत है , 

अभी  हसरतों का जहां देखना है।

चलने का जब फैसला  कर लिया 

कौन कहता  है  क्या  अब  कहां देखना है ।।

            वो सफर क्या  सफर जिसकी मंजिल नही 

            है  मजा क्या अगर राह मुश्किल  नही ।

            चूम लेगा  बढकर  साहिल कदम

           कैसे रोकेगा कश्ती  तूफान देखना है ।।

इनके अंधेरे से  कह दो  कि जिद छोड़ दें 

अब गुजारा  नही  ये  भरम  तोड़  दें 

हौसलो का दीया  रख दिया  सामने 

कितनी  दमदार है आंधियां देखना  है ।।