गीत
——-
रात अकेली बिरहन तरसे,
ऐसे मैं जो तुम आ जाते
कितने सावन मेघ न बरसे ,
दिल का अपने हाल सुनाते ।
किसको सुनाऊं सारी वो बातें ,
बनके धुआं जो दिल में सुलगे
आग लगाएं चांदनी रातें ,
डाल दिया ये किस मुश्किल में
लाख मनाऊं एक न माने
,दिल में कितने गम सौगातें ।
तेरी चाहत ने है बनाया
मुझको मूरत एक पत्थर की,
खुद ही खुद के दुश्मन हैं हम
छोटी सी ये बात न समझी ,
जान जो जाते तेरे इरादे
कदम कभी ना आगे बढाते ।।
सपना सक्सेना
स्वरचित
Waah ….kya khubsurat panktiyan hain……
रात अकेली बिरहन तरसे,
ऐसे मैं जो तुम आ जाते
कितने सावन मेघ न बरसे ,
दिल का अपने हाल सुनाते ।
LikeLike
हार्दिक धन्यवाद 🙏🌿
LikeLike