गीत
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रात अकेली बिरहन तरसे,
ऐसे मैं जो तुम आ जाते
कितने सावन मेघ न बरसे ,
दिल का अपने हाल सुनाते ।

किसको सुनाऊं सारी वो बातें ,
बनके धुआं जो दिल में सुलगे
आग लगाएं चांदनी रातें ,
डाल दिया ये किस मुश्किल में
लाख मनाऊं एक न माने
,दिल में कितने गम सौगातें ।

तेरी चाहत ने है बनाया
मुझको मूरत एक पत्थर की,
खुद ही खुद के दुश्मन हैं हम
छोटी सी ये बात न समझी ,
जान जो जाते तेरे इरादे
कदम कभी ना आगे बढाते ।।

सपना सक्सेना
स्वरचित

2 thoughts on “

  1. Waah ….kya khubsurat panktiyan hain……

    रात अकेली बिरहन तरसे,
    ऐसे मैं जो तुम आ जाते
    कितने सावन मेघ न बरसे ,
    दिल का अपने हाल सुनाते ।

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