आशा
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जीवन के इस महाकुंभ में
आशाओं का साथ ना छूटे ,
मन का दर्पण उजला रखना
मुसकानों की परी ना रूठे ….
दुख की काली बदली से
मत घबराना रातों में ,
कितनी भी हो कठिन डगर
रहे आस का दामन हाथों में …
बाल उमंग से स्वागत करना
नित नई नवेली भोर का ,
पंख पसारे पंछी बनकर
पीछा करो नभ छोर का …..
चलते रहना ही जीवन है
विजयी को आराम नहीं ,
मानव रूप है सबसे पावन
रुकना इसका काम नहीं ।
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सपना सक्सेना
ग्रेटर नोएडा
चलते रहना ही जीवन है
विजयी को आराम नहीं ,
मानव रूप है सबसे पावन
रुकना इसका काम नहीं ।
bilkul sahi….chalnaa hi hai kaam kabhi ruk jaanaa naa.
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